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झाँसी – हर्षोल्लास के साथ मनाई गई भगवान विश्वकर्मा की जयंती


ब्यूरो चीफ झाँसी।
झाँसी 18 सितम्बर।महाचरन स्मारक महाविद्यालय रेवन में विश्वकर्मा जयंती पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया । इस दौरान महाविद्यालय के संरक्षक राम केश यादव एवं प्राचार्य डॉ आर के यादव ने विश्वकर्मा जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर महाविद्यालय के समस्त सृजनात्मक वस्तुओं की पूजा अर्चना की।
इस मौके पर महाविद्यालय के संरक्षक रामकेश यादव ने सम्बोधित करते हुए कहा कि भगवान विश्‍वकर्मा के जन्‍मदिन को विश्‍वकर्मा पूजा, विश्‍वकर्मा दिवस या विश्‍वकर्मा जयंती के नाम से जाना जाता है. इस पर्व का हिन्‍दू धर्म में विशेष महत्‍व है. मान्‍यता है कि इस दिन भगवान विश्‍वकर्मा ने सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा के सातवें धर्मपुत्र के रूप में जन्‍म लिया था. भगवान विश्‍वकर्मा को ‘देवताओं का शिल्‍पकार, वास्‍तुशास्‍त्र का देवता, प्रथम इंजीनियर, देवताओं का इंजीनियर’ और ‘मशीन का देवता’ कहा जाता है। महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ आर के यादव ने कहा कि विष्‍णु पुराण में विश्‍वकर्मा को ‘देव बढ़ई’ कहा गया है। यही वजह है कि हिन्‍दू समाज में विश्‍वकर्मा पूजा का विशेष महत्‍व है। हो भी क्‍यों न? अगर मनुष्‍य को शिल्‍प ज्ञान न हो तो वह निर्माण कार्य नहीं कर पाएगा. निर्माण नहीं होगा तो भवन और इमारतें नहीं बनेंगी, जिससे मानव सभ्‍यता का विकास रुक जाएगा. मशीनें और औज़ार न हो तो दुनिया तरक्‍की नहीं कर पाएगी. कहने का मतलब है कि सामाजिक, आर्थिक और सांस्‍कृतिक विकास के लिए श‍िल्‍प ज्ञान का होना बेहद जरूरी है। अगर शिल्‍प ज्ञान जरूरी है तो शिल्‍प के देवता विश्‍वकर्मा की पूजा का महत्‍व भी बढ़ जाता है। इस दौरान महाविद्यालय के सभी बच्चों ने विश्वकर्मा जी की पूजा कर आरती की और अच्छे भविष्य के लिए विनती की। कार्यक्रम को सफल बनाने में महाविद्यालय के समस्त अध्यापकों का सराहनीय योगदान रहा ।
रिपोर्ट – महेन्द्र सिंह सोलंकी।

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