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अहरौरा,मीरजापुर: चीफ ब्यूरो हिन्दुस्तान तृप्ति चौबे नहीं रहे

चीफ ब्यूरो हिन्दुस्तान तृप्ति चौबे नहीं रहे
अहरौरा_मीरजापुर । मृत्यु एक ऐसी सच्चाई है जिसे जीवन को स्वीकार करना पड़ता है। इसका कोई समय निर्धारित नहीं होता लेकिन जीवन शारीरिक स्वरूप को नाम के माध्यम से अपने सुकर्मों से सांसरिक पृष्ठभूमि पर दर्ज कर जाता है। जब नाम सुकर्मो से, दर्शन से और अपनी उपस्थिति से समाज को कुछ दे जाता है तो उसकी कमी खलती है। जी हां, कुछ ऐसा करके चीरनिन्द्रा को आत्मसात कर चुके हैं दैनिक समाचार पत्र के चीफ ब्यूरो मिर्जापुर के तृप्ति चौबे। मात्र अढ़तालिस वर्ष की आयु में ही हार्ट अटैक से स्वर्गवासी हो गये। आपने अपनी लेखनी से समाज और प्रशासन को जगाया। उठो, सबेरा हो चुका है और सामाजिक अपेक्षाओं पर खरा उतरो और काम करो। जनपद में लोकप्रिय, सामाजिक मूल्यों के रक्षक और जनजागरण के प्रेरणता तृप्ति चौबे रहे हैं। दैनिक हिंदुस्तान की आवाज रहे तृप्ति चौबे को जानने के लिए सुबह चाय, पान की दुकानों से लेकर प्रशासनिक अमला जग जाता था |
जो आज हमारे बीच नहीं रहे। आज आप के लिए अहरौरा पत्रकारिता जगत शोक में हैं, प्रशासनिक अमले का हृदय भी आपके याद में धड़क रहा है सो शहीद उद्यान नगरपालिका अहरौरा में एक शोक सभा का आयोजन थाना प्रभारी मनोज ठाकुर के नेतृत्व में किया गया जिसमें एस आई सतीश कुमार सिंह, एस आई तेज बहादुर राय, पत्रकार हरिकिशन अग्रहरी, महेंद्र सिंह, विकास अग्रहरि, पवन जायसवाल, वसीम खां, असलम, आशीष पांडे आदि उपस्थित रहे। शहीद उद्यान में मोमबत्ती जलायी गयी। मृतक की आत्मा शांति के लिए दो मिनट मौन रखा गया। इसलिए यह कार्यक्रम हुआ कि शारीरिक मृत्यु के बाद भी सांसारिक जीवन में आपके विचारों के मूल्य जीवित हैं जिसकी उपयोगिता सदैव बनी रहेगी। थाना प्रभारी मनोज ठाकुर ने कहा कि वीरों के मृत्यु का शोक नहीं होता क्योंकि उनके बताये रास्तों की उपयोगिता सदैव सिद्ध होती है |
जो तृप्ति चौबे थे। पत्रकार हरिकिशन अग्रहरी ने कहा कि पत्रकारिता जगत को अपूर्तनीय क्षति हुई मगर उनकी कर्म वीरता इस जन्म के लिए काफी है क्योंकि शरीर मरता है न विचार और उनकी वैचारिकी दबे, कुचले व्यक्तियों की प्रतिस्थापना समाज की मुख्य धारा के लिए थी। पत्रकार विकास अग्रहरि ने भी कहा कि मृत्यु शाश्वत सत्य है जिसे स्वीकार करना पड़ता है लेकिन जिस रास्ते पर वो हमें छोड़कर चले गए हैं, उस रास्ते पर हमें वो सदैव याद आते रहेंगे क्योंकि हमें उनकी जरूरत थी।पत्रकार राष्ट्रीय सहारा महेन्द्र ने भी कहा कि तृप्ति चौबे शब्दों के जादूगर थे जो मानवीय समता, समानता और समतुल्यता के लिए काम करते थे जिन पर स्मृति शेष तृप्ति चौबे के शेष रास्ते पर चलना होगा, यही उनके लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

रिपोर्ट हरि किशन अग्रहरि ibn24x7news अहरौरा मिर्जापुर

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