Ibn24x7news विजय कुमार शर्मा की कलम से
आजकल नैतिकता के पतन का दौर चल रहा है और नैतिकता के नाम पर अनैतिकता सारी मर्यादाओं का तार तार कर रही है। नैतिकता के नाम पर लोग सफेदपोश भेड़िया बने हुये हैं और ” मुंह में राम बगल में छूरी वाली कहावत चरितार्थ कर रहे हैं। महिलाओं को सुरक्षा संरक्षण देने के नाम पर देश के हर राज्य में नारी एवं बालिका सुरक्षा गृह चलाये जा रहे हैं जिन पर करोड़ों रुपये हर महीने सरकारी खजाने से खर्च होता है। इस तरह की योजनाएं सरकार के अधीन खासतौर पर समाज कल्याण विभाग की देखरेख में चलाई जाती है।समाज कल्याण विभाग नारी संरक्षण गृह के साथ ही आवासीय बालिका विद्यालय भी चलाता है जहाँ पर इंटर तक बालिकाओं को निःशुल्क शिक्षा दी जाती है। नारी संरक्षण गृहों में रहने वाली महिलाओं या लड़कियो लड़कैं के साथ किस तरह का व्यवहार किया जाता है यह बात जगजाहिर हो चुकी है। इधर सरकार ने इन नारी संरक्षण गृहों आदि को खुद न चलाकर संविदा कर्मियों के सहारे ठेके पर चलाया जाने लगा है। आवासीय विद्यालयों में खाने नाश्ते से लेकर पढ़ाने तक का कार्य संविदा पर कराया जाता है।इन आवासीय विद्यालयों में पढ़ने वाली बालिकाओं के साथ कैसा व्यवहार होता है इसका अंदाजा पिछले वर्षों एक आवासीय विद्यालय में हुयी लड़कियों की बगावत से लगाया जा सकता है। नारी संरक्षण गृह अक्सर विवादों एवं आरोपों से घिरे रहते हैं और आये दिन इनमें रहने वाली वेवश मजबूर लड़कियों महिलाओं के साथ अत्याचार अनाचार एवं दुराचार के मामले प्रकाश में आते रहते हैं। इसी तरह मुजफ्फरपुर बिहार नारी संरक्षण गृह से जुड़ा एक और सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है जिसे सुनने मात्र से सिर शर्मिंदगी से झुक जाता है।यह नारी संरक्षण गृह की व्यवस्था सरकार संविदा पर ठेकदारों के माध्यम से संचालित करती है। इसमें करीब चालीस लड़कियां रहती थी। नारी संरक्षण के नाम पर यहाँ पर जिम्मेदार लोग ही कुछ ऐसी घिनौनी हरकत करते थे जिसे कहते हुये लज्जा आती है।बिहार के मुजफ्फरपुर में लड़कियों के साथ किया गया कृत्य वहाँ की सुशासन सरकार का दावा करने वालों के लिये चुल्लू भर पानी में डूब मरने जैसी है। इस तरह की घटनाओं के पर्दाफाश होने से लगता है कि जैसे इस तरह के कृत्य काफी पहले से इन नारी संरक्षण गृहों में होते हैं और वहाँ पर रहने वाली बेसहारा लड़कियों महिलाओं के साथ जबरिया दुष्कर्म किया जाता हैयहीं कारण है कि घटना के महीनों बाद तक सरकार घटना पर चुप्पी साधे बैठी रही लेकिन जब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को स्वतः संज्ञान में लेकर केन्द्र और बिहार सरकार को नोटिश दे दी तो सरकार और मुख्यमंत्री की निन्द्रा टूटी।सरकार बेवश मजबूर लावारिस महिलाओं बच्चे बच्चियों के संरक्षण के लिये भले ही प्रयत्नशील हो लेकिन समाज में सक्रिय सफेदपोशों ने शारीरिक हवस पूरी करने का माध्यम एवं ऐशोआराम के अड्डे बना लिया है जिसे कतई उचित नहीं कहा जा सकता है।इसके लिये संचालकों के साथ सरकारी व्यवस्था भी दोषी ही नहीं बल्कि संलिप्त होती है।सरकार ने इस सम्बंध में जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करते हुये उन्हें निलम्बित किया है तथा संचालक समेत लड़कियों का जबरिया शारीरिक शोषण करने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है।
Tags पश्चिमी चम्पारण
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