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मिर्ज़ापुर : वर्षो से आवास के लिए दर दर भटक रहा भूमिहीन महिला परिवार

रिपोर्ट विकास चन्द्र अग्रहरि ब्यूरो चीफ मीरजापुर l
प्रशासन के आश्वासन के बाद भी नहीं दिया गया आवास
मीरजापुर अदलहाट क्षेत्र के गोठौरा गाँव की महिला अपने परिवार के साथ सड़क के किनारे बने नाली पर जीवन बसर करने को वर्षो से मजबूर है।जिलाधिकारी से लेकर तहसील दिवस तक गाँव में खाली पड़े सरकारी आवादी की जमीन का आवंटन कर प्रधानमंत्री आवास बनाने के लिए गुहार लगाई लेकिन आज तक भूमिहीन महिला परिवार को कोई सहायता नहीं मिल पाया है।जबकि कई बार एसडीएम चुनार ने जाँच कर पात्रत्ता सूचि के आधार पर गाँव में जमीन को आवंटित करने के लिए लिखा है इसके बाद भी अभी तक किसी प्रकार का कोई सहयोग नहीं मिला है।
हीरामनी पत्नी विनोद गोठौरा गाँव निवासी अपने परिवार के साथ विगत तीस वर्षो से वाराणसी शक्तिनगर राजमार्ग पर सड़क के किनारे गोठौरा के अंतर्गत रस्तोगी तालाब पर कच्चा छप्पर नुमा मकान बनाकर रहते थे वाराणसी शक्तिनगर राजमार्ग चौड़ीकरण होने से तीन वर्ष पूर्व पूरा कच्चा मकान सड़क में चला गया।तभी से यह भूमिहीन परिवार मजदूरी कर सड़क के किनारे बने नाले पर तिरपाल लगाकर रहने को विवस है।चाहे गर्मी हो,बरसात हो,तेज ठण्ठ हो पूरा परिवार एक तिरपाल के निचे जीवन बसर करने को मजबूर है।
इस परिवार के लिए जीवन बसर करना कितना मुश्किल है यह तो खुले आसमान में फटी तिरपाल के निचे रहने वाला ब्यक्ति ही जान सकता है न की एसी दार पक्के मकान में रहने वाला ब्यक्ति।
जबकि भारत सरकार की योजना है की पात्र ब्यक्ति को हर हाल में प्रधानमंत्री आवास उपलब्ध कराया जाय जिसके पास जमीन नहीं है उनको गाँव में खाली भूमि पर जमीन का आवंटन कर हर हाल में आवास उपलब्ध कराया जाय।लेकिन जमिनी हकीकत कुछ और ही बया कर रहा है।
हीरामनी अपने पति विनोद व अपने तीन बच्चों के साथ रहती है।जो मजदूरी करके किसी तरह दो वक्त की रोटी की ब्यवस्था हो पाता है।पति अपने बेटो के साथ मजदूरी करता है।जिससे उसके पास इतने पैसे नहीं है की वह जमीन खरीदकर मकान बना सके।गाँव में खाली पड़े जमीन पर पात्रता सूचि के आधार पर पट्टा देने की बात होती रही है लेकिन आज तक प्रशासन की ओर से अभी कोई कार्यवाही नहीं की गयी है।जिससे की भूमिहीन गरीब परिवार को आवास उपलब्ध हो सके।जिस नाली के ऊपर वह तिरपाल लगाकर रह रही है उसके पीछे लोगों का मकान है वे लोग सामने से खाली करने का दबाव भी बना रहे हैं इस दशा में यह परिवार सड़क पर आ चूका है।
बारह मई 2015 से अब तक दर्जनों प्रार्थना पत्र देकर आवास की गुहार लगा चुकी है लेकिन प्रशासन की ओर से केवल खाना पूर्ति ही की गयी है।हीरामनी ने एक बार फिर जिले की सांसद व जिलाधिकारी से गुहार लगाई है।

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