लखीमपुर खीरी में गरीबों की झोपड़ी पर अमीरों की
लखीमपुर खीरी केंद्र सरकार ने गरीबों को आवास उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना शुरू की है, लेकिन इस पर कुछ अमीरों ने नजरें जमा रखी हैं। खुद के घर होने के बाद भी गरीबों के हक पर डाका डालने की तैयारी किए बैठे हैं जिसके अंदर शहर के कुछ सरकारी अधिकारी की मिलीभगत से यह खेल चल रहा है प्राप्त जानकारी के अनुसार 30 से 40 परसेंट इन सरकारी अधिकारियों का कमीशन है ।
यह है योजना
केंद्र सरकार ने 2021 तक हर गरीब को आवास देने का लक्ष्य तय किया है। इसके तहत शहर व देहात तक आवास बनवाए जा रहे हैैं। शहरी क्षेत्र में जिन लाभार्थियों के पास जमीन नहीं हैं, उन्हें सरकार आवास बनाकर दे रही है। जिनके पास जमीन है, उन्हें सीधे ढाई लाख रुपये दे रही है। प्राप्त जानकारी के अनुसार अगर इसकी किसी प्राइवेट संस्था से इंक्वायरी कराई जाए तो खुलकर सामने आ सकते हैं दबी जुबान में अपना नाम ना छापने की सूरत में एक भाजपा नेता ने बताया कि ढाई लाख के पीछे 25 परसेंट एक भाजपा नेता व सरकारी अधिकारी का भी कमीशन है जो जिला 70 तक के अधिकारियों के संबंध रखता है
जियो टैगिंग जरूरी
कोई भी बेघर व्यक्ति इसके लिए आवेदन कर सकता है। इसके बाद डूडा के माध्यम से उस व्यक्ति की जांच करती हैैं। टीम उस व्यक्ति की जमीन की जियो टैगिंग करती है। इसमें जमीन की फोटो खींची जाती है। इसके बाद निर्माण के लिए राशि जारी होती है। यह लाभार्थी के खाते में पहुंचती है। फोटो भी एक फर्जी टाइप से खींची जा रही है यहां तक भी पता चला है खाली जगह की फोटो दिखा कर या टूटे हुए मकान की दिखाकर किया जा रहा है मकान किसी का फोटो कहीं की
दो मंजिला भवन फिर भी कर दिया आवेदन
लखीमपुर खीरी कस्बा मोहम्मदी में अधिकतम ऐसे लोग हैं खेत जमीन मकान अच्छी इनकम होने के बावजूद भी दो मंजिला भवन भी है। फिर उन्होंने प्रधानमंत्री आवास योजना में आवेदन कर दिया। जब अधिकारियों पर गाज गिरने लगी दो जांच के बाद आवेदन रद कर दिया गया।
बीच बाजार में है घर फिर भी संतुष्ट नहीं
निवासी मोहम्मद फारुख ताला फैक्ट्री में काम करते हैं। तीन लड़के हैं। सभी काम करते हैं। बाजार में घर है। इसके बाद भी प्रधानमंत्री आवास योजना में आवेदन कर दिया। जांच के बाद आवेदन निरस्त कर दिया गया।
जांच में होंगे आवेदन निरस्त
डूडा के पीओ प्रभात का कहना है कि पीएम आवास योजना में हर बेघर को छत मुहैया करानी है, लेकिन कई बार पहले से निजी मकानों में रहने वाले लोग भी आवेदन कर देते हैं। इन्हें जांच में निरस्त कर दिया जाता है।
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