रिपोर्ट अनूप ibn24x7news अयोध्या (उत्तर प्रदेश)
अयोध्या श्री रामचंद्र की जन्मभूमि एवं धार्मिक स्थल से हर वर्ष की भांति 14 कोसी परिक्रमा भगवान जय श्री राम के नारों के साथ हो चुका है इसमें सरयू तट पर स्नान कर भक्तगण अपनी परिक्रमा शुरू करते हैं लगभग 30 लाख से अधिक संख्या में भक्तों ने परिक्रमा शुरू की अब भगवान राम का नाम हनुमान जी का नाम एवं सुंदरकांड का पाठ करते हुए ईश्वर के नाम का भजन करते हुए भक्तगण परिक्रमा कर रहे हैं श्रद्धालु राम नगरी अयोध्या और फैजाबाद के चतुर्दिक परिक्रमा करते हैं दो दिनों तक चलने वाले इस आयोजन में श्रधालुओं की सुरक्षा और सकुशल आयोजन जिला प्रशाशन के लिए बड़ी चुनौती है जिसे देखते हुए इस वर्ष इस विशाल मेले को संपन्न कराने के लिए विशेष इंतजाम किये गए हैं मयार्दा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या मेंआज से शुरू 16 नवंबर सुबह सात बजे से शुरू चौदह कोसी परिक्रमा की सुरक्षा व्यवस्था के कड़े प्रबंध किये गये हैं।
*सुरक्षा व्यवस्था*
प्रमुख स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाये गये हैं। इसके अतिरिक्त सादी वदीर् में पुलिस फोर्स की तैनाती रहेगी जो अराजकता फैलाने वाले व मनचलों पर नजर रखेगी। इस दौरान प्रभारी निरीक्षकों समेत चौकी प्रभारियों को और यूपी 100 नम्बर समेत अन्य सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क रहने के सख्त निदेर्श दिये हैं।
मेले के दौरान अयोध्या फैजाबाद में रहेगी 24 घंटे विद्युत् आपूर्ति
*मान्यता*
किवदंतियों के अनुसार भगवान श्रीराम के चौदह वर्ष के वनवास से अपने को जोड़ते हुए अयोध्यावासियों ने प्रत्येक वर्ष के लिए एक कोस परिक्रमा की होगी। इस प्रकार चौदह वर्ष के लिए चौदह कोस परिक्रमा पूरा किया होगा। तभी से यह परंपरा बन गई और उस परंपरा का निर्वाह करते हुए आज भी कार्तिक की अमावस्या अर्थात् दीपावली के नौवें दिन लाखों श्रद्धालु यहां आकर करीब 42 किलोमीटर अर्थात् 14 कोस की परिक्रमा एक निर्धारित मार्ग पर अयोध्या और फैजाबाद नगर का चौतरफा पैदल नंगे पांव चलकर अपनी-अपनी परिक्रमा पूरा करते हैं।
*परिक्रमा भक्तों के बारे में*
कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन शुरू होने वाले इस परिक्रमा में ज्यादातर श्रद्धालु ग्रामीण अंचलों से आते हैं। यह एक-दो दिन पूर्व ही यहां आकर अपने परिजनों व साथियों के साथ विभिन्न मंदिरों में आकर शरण ले लेते हैं और परिक्रमा के दिन निश्चित समय पर सरयू स्नान कर अपनी परिक्रमा शुरू कर देते हैं जो उसी स्थान पर पुन: पहुंचने पर समाप्त होती है। परिक्रमा में ज्यादातर लोग लगातार चलकर अपनी परिक्रमा पूरी करना चाहते हैं क्योंकि रुक जाने पर मांसपेशियों में खिंचाव आ जाने से थकान का अनुभव जल्दी होने लगता है। यद्यपि श्रद्धालुओं में न रुकने की चाव रहती है फिर भी लंबी दूरी की वजह से रुकना तो पड़ता ही है। विश्राम के लिए रुकने वालों में ज्यादातर वृद्ध या अधेड़ उम्र के लोग रहते हैं।
*14 कोसी परिक्रमा का महत्व*
कार्तिक परिक्रमा को 14 कोसी परिक्रमा के तौर पर जाना जाता है। ये साल में एक बार होती है। ऐसा कहा जाता है कि कार्तिक परिक्रमा के दौरान भगवान विष्णु का देवोथान (जागना) होता है। इस वजह से इस दौरान किए गए काम को क्षरण नहीं होता। आप अगर मन से परिक्रमा में हिस्सा लें तो उसका फल आपको जरूर मिलता है।
*जो असमर्थ हैं वो ऐसे करें परिक्रमा*
जिन लोगों को चलने में परेशानी है। वो रामकोट क्षेत्र की परिक्रमा भी कर सकते हैं। ये दूरी 3 किमी की है। वहीं, जो लोग रामकोट क्षेत्र की परिक्रमा करने में भी असमर्थ हैं वो अयोध्या में स्थित कनक भवन की परिक्रमा भी कर सकते हैं। कनक भवन के बारे में प्रचलित है कि राम विवाह के बाद माता कैकई ने सीता जी को मुंह दिखाई में इस भवन को दिया था।
भक्त आगमन
अयोध्या में परिक्रमा में शामिल होने के लिए देश-विदेश के श्रद्धालुओं का आगमन आज शुक्रवार को भी जारी रहा। मेला क्षेत्र में रोडवेज बसों व ट्रेनों के अलावा निजी साधनों से लगातार यहां भक्तगण पहुंच रहे हैं।
5 कोसी परिक्रमा 18 नवम्बर दिन रविवार
14 कोसी परिक्रमा के बाद 18 नवंबर को पांच कोसी परिक्रमा की शुरूआत होगी 18 नवंबर को दिन रविवार है कुछ भक्त जो 14 कोसी परिक्रमा नहीं करते वह 5 कोसी परिक्रमा करते हैं वह कुछ भक्तगण 14 कोसी परिक्रमा व पांच कोसी परिक्रमा दोनों करते हैं यह श्रद्धा का विषय है।
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