कल्याण: हाइवे या डंपिंग ग्राउंड
मुम्बई से सटे कल्याण पूर्व में 100 फिट रोड, डंपिंग ग्राउंड की शक्ल ले चुका है
नगरपालिका की लापरवाही का आलम ये है कि यहां कूड़े के निस्तारण के लिए कोई कचरे का डिब्बा तक नही रखा गया है और कचरा सड़क के किनारे सुबह से अगले दिन तक जमा रहता है,
आपको बता दें कि मुम्बई और यहां के उपनगरों में कूड़ेदान रखने के लिए कूड़े को दो भागों में बांटा गया है “गीला और सूखा”
परंतु अंत मे सारा कचरा एक ही जगह इकट्ठा किया जाता है जहां से कचरे की गाड़ी सुबह आकर बुलडोजर से ट्रक में भरकर ले जाती है,
परंतु नागरिकों का दुर्भाग्य देखिये जिस 4 लेन की 100 फिट सड़क को नागरिकों की सुविधाओं के लिए बनाया गया है उसने नगरपालिका के निकम्मेपन की वजह से कचराघर का रूप ले लिया है ।
बच्चों का प्रतिष्ठित विद्यालय है सामने:
दिलचस्प ये है कि ये स्थिति जिस जगह पर है उसके ठीक सामने कल्याण पूर्व का प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान साकेत कॉलेज और स्कूल है जहां प्रतिदिन हजारों बच्चे से लेकर बड़े छात्र पढ़ने आते हैं और उन्हें इस कचरे की भयानक दुर्गन्ध का सामना करना पड़ता है !!
बीमारी का घर बन चुका है कचरा:
तस्वीर में आप देख सकते हैं इतनी गर्मी के बावजूद सड़क किनारे कूड़े के साथ गंदे पानी का जमाव भी है जो भयानक बीमारियों को बढ़ावा देता है, बरसात में तो ये स्थिति और भी भयानक हो जाती है और नागरिकों को भयानक दुर्गन्ध और वायरल बीमारियों से जूझना पड़ता है !!
आंदोलनों से भी फर्क नही पड़ता नगरपालिका को:
इस तरह की मुसीबतों से निपटने के लिए यहां के कई समाज सेवक वर्षों से नगरपालिका के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं और कल्याण की सुविधाओं को दुरुस्त करने की मांग करते आ रहे हैं लेकिन कल्याण डोम्बिवली नगरपालिका के कानों पर जूं तक नही रेंगती !
पिछले महीने 5 ऑक्टोबर को सूचना अधिकार कार्यकर्ताओं की एक पूरी टीम ने जिसमे श्रीनिवास घानेकर, विनोद तिवारी, जितेंद्र मिश्रा, अमिताभ सिंह, वंदना सोनावने इत्यादि शामिल थे इन लोगों के अनिश्चित कालीन अनशन किया था जो चार दिन तक चला था परंतु नगरपालिका कमिश्नर ने सुध लेने की भी जहमत नही उठाई। अंततः मंत्री रविन्द्र चव्हाण के दखल के बाद कई आश्वासनों के साथ अनशन खत्म हुआ था, मंत्री के आश्वासनों पर कार्यवाही तो हुई लेकिन नगरपालिका स्वयं किसी सुधार की पहल करने को तैयार नहीं दिख रही ।
नागरिकों की भी है जिम्मेदारी:
इस पूरे मुद्दे पर सिर्फ महानगरपालिका ही नही बल्कि वहां के रहिवासी भी जिम्मेदार हैं लोगों को भी ये समझना चाहिए कि यदि कचरे के निस्तारण की उचित व्यवस्था नही है तो कचरे को अपने घर पर ही रखकर सुबह में ही निस्तारित करें ताकि सुबह के एक दो घंटों के अलावा बाकी पूरा दिन तो कम से कम गंदगी न जमा हो और जब सारी गंदगी एक जगह जमा होती है तो निश्चित ही वह दुर्गन्ध और बीमारियां पैदा करती है ,इसके विपरीत अपने अपने घर पर एक दिन कूड़ेदान में रखने से गंदगी अपेक्षाकृत कम नुकसान पैदा करती है !!
साथ ही महानगर पालिका से इस समस्या के निस्तारण की समाजसेवियों की लड़ाई में भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लें !!
रिपोर्ट देवब्रत दुबे (श्याम) ibn24x7news मुम्बई
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