अहरौरा पुलिस ने बचाई चार पर्यटकों की जान
शाम पांच बजे के बाद अहरौरा पुलिस पर्यटक स्थल लिखनियांदरी से झरने के आस पास से,जंगल के अंदर घूसे पिकनिक मना रहे पर्यटकों को बाहर निकालने लगती है। इसका मुख्य कारण शाम होने के बाद अंधेरा छा जाता है, रोशनी की कोई कृत्रिम व्यवस्था वहाँ नहीं है, अपराधिक घटनाओं की संभावना बढ़ जाती है, सुरक्षा के इंतजाम करना मुश्किल हो जाता है। सोमवार को चार बजे बारिश होने लगी, लिखनियांदरी के झोर झोर जल प्रपात बनके तेजी से चलने लगे। लिखनियांदरी का पहाड़ी झरना हहाकर कई झोरों से मिले बारिश के जल से चलने लगा। जल का वेग तीव्र हो गया। झरना अपनी दोनों छोरों की सीमाओं को पल पल तोड़ने लगा। झरने के खतरनाक दूसरे पाट की ओर फंसे पर्यटकों को देख अहरौरा पुलिस विचारने लगी।
दूसरे पाट की ओर फंसे चारों पर्यटक मौत को साक्षात देखने लगे। पुलिस ने हिम्मत बंधाते हुए ऊंचे पहाड़ी की ओर जाने को कहा। फिर अहरौरा थाना प्रभारी मनोज कुमार ठाकुर के नेतृत्व में एस आई विमलेश सिंह, एस आई तेज बहादुर राय,एस आई कविन्द्र यादव, एस आई जय प्रकाश, अहरौरा नगर चौकी प्रभारी बूढ़ादेई आलोक कुमार सिंह ., कां रणविजय कुशवाहा, कां देवानंद, कां धर्मेन्द्र सिंह, कां सुनील सिंह, कां प्रशांत राय सतीश कुमार पाल, कां फिरोज अख्तर आदि पुलिस टीम का गठन त्वरित रूप से हुआ। कोई हाफ पैंट में , कोई बेहतहजीब वर्दी में, दो ग्रामीण लुंगी गंजी में पहाड़ी के दूसरी ओर से चढाई करने लगे और तब तक अंधेरे का साम्राज्य स्थापित हो चुका था। गीली मिट्टी में,बरसते पानी में अंधेरे जंगल में टार्च की रोशनी के सहारे पुलिस टीम आगे बढने लगी। जरा सी असावधानी, पैर फिसलने पर अनहोनी की संभावना बनी थी।जंगली बड़े बड़े घासों में छिपे जानवरों का खतरा भी था। ऐसे में भी पुलिस टीम आवाज लगाते अंधेरे में दो घंटे चलने के बाद फंसे पर्यटकों के पास पहुंची। उनको बीच में रखा गया आगे पुलिस व ग्रामीण और पीछे पुलिस बल और एक ग्रामीण हो लिया। करीब तीन घंटे के बाद सफल रेस्क्यू करके मेन रोड़ पर आये। जंगली रास्ते में अजीबोगरीब अंधेरे का मंजर होते हुए भी पुलिस टीम की बहादुरी से पर्यटकों की जान बच गई जिन्हें उनके परिजनों के हवाले कर दिया गया।
पुलिस ने जिस परिस्थिति में मौत के मुंह से खींचकर पर्यटकों की जान बचायी है, इसको देखने और घटना को सुनने वालों का अहरौरा पुलिस के प्रति कृतज्ञता का नजरिया हो गया है।इसे पुलिस का गुड वर्क कहने से बेहतर मानवीय मूल्यों का जीवंत उदाहरण माना जाय तो बेहतर होगा। पर्यटकों और उनके परिजनों की आंखों में आंसू थे मगर खुशी के थे। इन अश्रुपूरित नजरों से जब बचाव टीम को वे देख रहे थे तो ऐसा लगा कि वाकई किसी को फरिश्ता मिल गया हो।
रिपोर्ट हरिकिशन अग्रहरि ibn24x7news मिर्जापुर