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मजबूरी का नाम"देश का जवान

मजबूरी का नाम”देश का जवान
हमारे और उन शहीदों सपूतों के लिए लिख रहा हूँ जिनके लिए सिर्फ और सिर्फ तिरंगा और भारत देश ही सब कुछ था,जी हाँ”देश का जवान”वही देश का जवान जो काली अंधेरी रात में किसी वर्फ़ की पहाड़ी या चट्टानों की वादियों में सिर्फ इसलिए रात काट रहा है,ताकि भारत देश और देशवासी चैन की नींद सो सकें,,,,कभी-कभी देश की आजादी को लेकर भी दिल मन को झकझोरने लगता है कि क्या आजादी के यही मायने हैं,कि हमारे देश की आन-बान-शान कहे जाने बाले जवान क्या इतने मजबूर या फिर कायर हो सकते हैं,की हाँथ में एके 47 लेकर भी गद्दारों और कायरों के पत्थर और थप्पड़ खाते रहेंगे, फिर अंदर से जवाब आता है,नही मेरे भारत के जवान कभी इतने कमजोर या कायर नही हो सकते, क्योंकि यह वही जबान हैं |
जिन्होंने पाकिस्तान की सेना को आत्मसमर्पण पर मजबूर कर दिया,यह वही जवान हैं,जिन्होंने चीन की सेना को डोकलाम में पीछे हटने पर मजबूर कर दिया,यह तो एक महाशक्ति है,जिसका एक-एक सिपाही एक;एक सेना के बराबर है फिर आखिर क्या मजबूरी है क्या लाचारी है की मेरे,हमारे देश का जवान इतना मजबूर हो गया,जिसके शौर्य और पौरुष की गाथाओं की भारतवर्ष कसमे खाता है उसे कायरों की तरह जीने पर मजबूर किसने कर दिया,यह प्रश्न जो दिलोदिमाग को झकझोर कर रख देता है,देश की राजनीति,जो इन शेरों को भी कायर बनने पर मजबूर कर देती है,मैं,और मेरे जैंसे देश के करोड़ों लोग देश के माननीय प्रधानमंत्री जी से सवाल पूँछ रहे हैं|
की देश के जवानों को पिटवाकर उनके आत्मसम्मान से खिलवाड़ करके वह कौन से जनरल डायर या फिर अकबर के दिल जीतना चाहते हैं,और यदि ऐंसा है तो शायद माननीय भूल रहे हैं कि बग़ैर भगतसिंह के महात्मा गाँधी भी देश को आजाद नही करा पाते,क्योंकि हर लाला लाजपतराय की हत्या का बदला सांडर्स की हत्या से ही पूरा होता है,और हमलावरों खात्मा हिंसा नही बल्कि वध कहलाता है,और देश की सेना के सम्मान से समझौता हमें मंजूर नही,तो हम ऐंसे कई विश्वयुद्ध झेलने को तैयार हैं,लेकिन कम से कम उस सैनिक को अपने परिवार बीबी,बच्चों, माता,पिता,बहन,की नजरों में शर्मिंदा न करें क्योंकि एक फौजी का परिवार बड़े ही गर्व से जीवन यापन करता है कि मेरा बेटा,पति, पिता,या भाई फौज में है,और इतिहास गवाह है नेता तो कई करोड़पति हो गए लेकिन फौजी कभी करोड़पति नही हुआ,क्योंकि उसकी बहादुरी उसका त्याग ही उसकी पूँजी है,और जब कोई फौजी देशद्रोही लोगों से पिटता है तो सिर्फ वह नही बल्कि उसके साथ पिटता है यह भारत देश,उसके साथ पिटता है उसका परिवार और उसका आत्मसम्मान तो देश के प्रधानमंत्री और राजनीति से निवेदन है कि अपनी राजनीति में जनता को पीस ही रहे हैं|
लेकिन जब बात देश की और देश के जवान की आती है तो मैं और मेरे जैंसे हजारों सिरफिरे अंदर तक घायल हो जाते हैं,और ऐंसा प्रतीत होता है कि क्या फायदा ऐंसी आजादी का की जो देश की शान को ही लज्जित और शर्मिंदा होना पड़े,मुझे पता है मेरा एक-,एक फैजी भाई सौ-सौ गीदड़ों की फौज पर भारी है,लेकिन घटिया राजनीति ने हमारे शेरों को भी गीदड़ बना दिया है,हमेशा देश का जवान राजनीति के चलते गद्दारों से हारता आया है,एक बार अपने देश के जवान को जिताकर देखिए,जनता आपको कभी नही हारने देगी।
🇮🇳जय हिंद-जय भारत🇮🇳
 

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