रिपोर्टर सौरभ पाठक IBN NEWS बरेली
फतेहगंज पश्चिमी। एक वक़्त था जब लोगों को एक दूसरे की कुशलक्षेम पूछने के लिए पत्रों का ही सहारा होता था हमारे खतों को मंज़िल तक पहुँचाने का जिम्मा उठाता था डाक विभाग, बस बगल के डाकघर से पोस्टकार्ड लिया-लिखा और फिऱ वहीं लगे लाल डिब्बे में डाल दिया, वक़्त बदला तो तमाम और सुविधाओं ने भी जगह बना ली जैसे आर डी, एफ डी, लोन, रजिस्ट्री यानी कुल मिला कर एक छोटा बैंक भी आजकल डाकघर बन चुका है।
मलूकपुर क्षेत्र में स्तिथ उपडाकघर भी तकरीबन 50 बरस से यही करता है मुझे बैंक जाने की आवश्यकता कम ही पड़ती है अधिकतर सुविधाएं यहीं उपलब्ध हैं बीमार हूँ तो ज़्यादा चला भी न जाता बस 2 क़दम में ही डाक खाना है स्टाफ़ भी बहुत अच्छा है बहुत मदद करता है, ज्यादा लिखा पड़त भी न करनी पड़ती, ये कहते हैं क्षेत्र के स्थानीय नागरिक उमेश चन्द्र रस्तोगी। गर्व से बताते हैं कि ये डाकखाना तो मुझसे भी पुराना है मेरा बहुत लगाव है इससे कहीं और शिफ़्ट हो गया तो सर्वाधिक दिक्कत मुझे ही होगी। वहीं के अरविंद रस्तोगी बताते हैं कि मैं तो बचपन से इसको यहीं देख रहा हूँ जगह बदलती रही पर रहा यहीं आसपास ही, अब डाक विभाग इसको यहां से शिफ़्ट करके कुतुबखाने वाले बड़े डाकघर में विलय करने पर विचार कर रहा है जबकि हम स्थानीय लोग इसे यहीं आसपास ही चाहते हैं हमनें एक नई जगह भी डाक प्रशासन को दिखाई और पोस्ट मास्टर जनरल को इस संदर्भ में प्रार्थना पत्र भी दिया। मुख्यमंत्री पोर्टल पर भी लिख चुके हैं सभी की एकमत से यही राय है कि इसे स्थानांतरित न किया जाये। प्रार्थना पत्र देने वाले स्थानीय नागरिकों में अवनीश कुमार सक्सेना, गौरव सक्सेना, इंद्र कुमार अग्रवाल, कौशल कुमारी, साधना रस्तोगी, चंद्रप्रभा, अरविंद रस्तोगी, उमेश चंद्र रस्तोगी, श्रीकांत रस्तोगी, कन्हिया पांडेय, पुनीत कपूर, पूर्वी कपूर, मोहित टंडन, मौलाना शहाबुद्दीन रिज़बी, मौलाना सुब्बानी मियां, मौलाना मन्नान रज़ा खां, अंजुम मियां, तस्लीम मियां आदि शामिल हैं।