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सलेमपुर देवरिया – ग्राम नवलपुर में विद्यालय के नाम को लेकर अधिकारियों ने किया मनमाना कार्यवाई ‘ प्रधानअध्यापक पर ही लगा दिया नाम बदलने का आरोप

ibn 24×7न्यूज़ रिपोर्ट मोहम्मद असलम खान सलेमपुर

मालूम हो कि पिछले चार दिन से ग्राम नवलपुर में ब्रिटिश शासन के समय से स्थापित तथा उसी समय से संचालित सरकारी इस्लामिया अपर प्राइमरी विद्यालय के नाम को लेकर सम्बंधित अधिकारियों ने विवाद छेड़ा हुआ है . जबकि इस विद्यालय की सच्चाई ये है कि ब्रिटिश शासन में भी यह विद्यालय इस्लामिया अपर प्राइमरी के नाम से संचालित होता रहा तथा आजादी के बाद भारत सरकार तथा प्रदेश सरकार द्वारा भी इसी नाम से संचालित होता रहा है !

नाम को लेकर कभी कोई विवाद नही हुआ और ना ही विद्यालय के संचालन में कभी कोई बाधा उत्तपन हुआ इस पहलू का सबसे खेद जनक बात यह है कि अब कियूं और कैसे सम्बंधित अधिकारियों के ध्यान में बात आयी . नाम पर विवाद उठाने अधिकारियों की मंशा किया है ! ग्रामीणों का तो यही कहना है कि शासन व प्रशासन की मंशा विद्यालय का नाम इस्लामिया होने के कारण इस विवाद को हवा दी गयी है जबकि शिक्षा पूर्ण कर के विद्यालय से निर्गम प्रमाण पत्र लेने वाले छात्रों के टीसी पर भी इस्लामिया प्राइमरी विद्यालय लिखा जाता है ! और यही टीसी आगे की शिक्षा के लिये मान्य होता है प्रमाण स्वरूप ग्रामीणों के पास इस प्रकार की टीसी सहेज कर रखी गयी है ! तथा जितने अध्यापकों की नियुक्ति का परवाना जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी देवरिया तथा जिला अधिकारी देवरिया द्वारा निर्गत किया गया है व इस्लामिया प्राथमिक विद्यालय नवलपुर के नाम से किया गया है ! सभी परवाना विद्यालय के रजिस्टर में अंकित है और सभी परवाना विद्यालय के रिकार्ड में मौजूद है ! किया परवाना जारी करते समय इन अधिकारियों को ध्यान इस बात की ओर नही गया ! सबसे अहम तथ्य व सबूत इस विद्यालय का नाम इस्लामिया प्राइमरी पाठशाला नवलपुर होने का यह है कि निर्वाचन आयोग ने अपने सभी चुनाव के समय इस विद्यालय को मतदान स्थल बनाया है और अपने द्वारा जारी किये गये मतदान सूची में भी इस्लामिया प्राइमरी पाठसाला के नाम से जारी किया गया है तथा पोलिंग पार्टी को जो मतदान केंद्र पर भेजने के लिये परवाना जारी किया जाता है वह भी मतदान केंद्र इस्लामिया प्राइमरी पाठ साला लिखा जाता है ! चूंकि अंग्रेजों द्वारा जब ये विद्यालय की स्थापना की गयी उस समय उन्हों ने ऐसे क्षेत्रों में विद्यालय की स्थापना किया और उन विद्यालयों का नाम इस्लामिया पाठसाला तथा शिक्षा का माध्यम उर्दू रखा जहां मुस्लिम आबादी अधिक थी किंतु इसी बात को कुछ अधिकारियों ने साजिश के तहत इस विद्यालय के नाम को लेकर इस्लाम व मदरसे से जोड़ दिया जो सरासर गलत है
इस प्रकरण की एक और दुखत गैरजिम्मादाराना पहलू यह है कि सम्बंधित अधिकारियों ने जो चीज़ सन 1904 से चली आ रही है उसको वर्तमान हेडमास्टर खुर्शीद अहमद से जोड़ दिया और उन्हें बली का बकरा बना दिया और 1904 से लेकर अबतक के सभी रिकार्ड व अभिलेख एक अधिकारी हेड मास्टर से मांग कर उठा ले गये सूत्रों का कहना है कि हेडमास्टर भूमिगत हो गये हैं विद्यालय के नाम को लेकर तथा पर्वर्तीक करने को लेकर आस पास के लोगों में काफी रोष देखने को मिल रहा है इस लिये शासन व प्रशासन को समय रहते सबूतों के आधार पर उचित कार्यवाई करनी चाहिये जिससे इस इलाके के लोगों के मन में यह बात ना बैठ जाय कि उनके साथ दूराह्ग्रह हो रहा है ये प्रकरण बहुत समवेदनसील है जिसका समाधान तलाशना सरकार की जिम्मेदारी है !

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