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सीवान – सरेंडर से पहले घर के ही पास छिपीं थीं पूर्व मंत्री मंजू वर्मा नहीं खोज पाई बिहार पुलिस

रिपोर्ट राजीव रंजन कुमार IBN247NEWS संवाददाता सिवान बिहार
बिहार सरकार की पूर्व मंत्री मंजू वर्मा की तलाश में बिहार पुलिस राज्य के कोने-कोने से लेकर अन्य राज्यों में हाथ-पैर मार रही थी।
जबकि वे अपने आवास से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर भूमिगत थीं।
मंजू अपने पति की बुआ के पास अनुमंडल क्षेत्र के महेशवाड़ा पंचायत के नौलखा गांव स्थित घर में थीं।
वहां रहकर ही वे लगातार पुलिस को चकमा देने में कामयाब रहीं।
हालांकि सूत्र बताते हैं कि पति की गिरफ्तारी और कोर्ट से उनके खिलाफ वारंट निकलने के बाद वे लगातार अपने रिश्‍तेदारों के पास ठिकाना बदलती रही। चूंकि मन में सरेंडर की बात चल रही थी और सुप्रीम कोर्ट का दबाव भी सामने था। इसलिए उन्‍होंने अपने घर से सबसे नजदीक के रिश्‍तेदार का आवास चुना। ताकि सरेंडर करने में भी परेशानी न हो।
दूर-दूर तक होती रही छापेमारी
इधर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पूरा पुलिस महकमा जागा और उनकी गिरफ्तारी के लिए चार टीमों का गठन किया गया।
चारों दलों ने पूर्व मंत्री के आस पास के कई संभावित ठिकानों पर छापेमारी की। लेकिन वे जगह पर नहीं पहुंच पाईं।
इन दलों ने उनकी तलाश झारखंड के रांची, हजारीबाग के रिश्तेदारों के घरों समेत खगडिय़ा, समस्तीपुर, पटना, बिहारशरीफ और हाजीपुर में भी की।
पुलिस को पूर्व मंत्री की नहीं लगी भनक।
पुलिस इस क्रम में मंजू की पुत्री के ससुराल तक पहुंच गई।
लेकिन उसे चन्द्रशेखर वर्मा की बुआ के घर रहने का अंदाजा नहीं लग सका।
जब वे न्यायालय पहुंचीं तब भी पुलिस को भनक तक नहीं लगी।
वे जब कोर्ट रूम में प्रवेश कर गईं तब उनके आत्मसमर्पण की सूचना बिहार के पुलिस अधिकारियों तक पहुंची।
सलवार-कुर्ता में मुंह ढ़ककर आईं मंजू वर्मा।
वे हमेशा साड़ी में ही दिखती थीं।
लेकिन कोर्ट कैम्पस में सलवार कुर्ता में आईं।
शॉल से मुंह ढक कर पहुंची थी।
लोग यह सवाल भी उठा रहे हैं कि बेगूसराय में इतनी ठंड है क्या कि धूप खिलने के बाद भी कोई शॉल ओढ़कर कोर्ट कैम्पस में नजर आए।
यह भी कि यह नजर का फेर ही था जिसमें बिहार पुलिस को पूर्व मंत्री इतने दिनों तक नहीं दिखीं।
अब एक दिसंबर को होगी पेशी।
31 अक्तूबर से फरार रह रहीं पूर्व मंत्री की पेशी अब एक दिसंबर को होगी।
उनके पति चंद्रशेखर उर्फ चंद्रेश्वर वर्मा भी इस समय बेगूसराय जेल में ही हैं।
उस दिन दोनों की पेशी होगी।
उन्‍होंने अपनी जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
लेकिन वहां से निराशा ही हाथ लगी।
मंजू वर्मा की कैदी पहचान की संख्या 545855 है।
इसी जेल में वार्ड नौ में बंद पति को भी सरेंडर की सूचना मिल चुकी थी।
वे कल दिनभर में उदास और निराश दिखे।
पूर्व मंत्री मंजू वर्मा अपने पति चंदेश्वर वर्मा की वजह से सुर्खियों में हैं।
उनके पति पर आरोप है कि वे अक्सर मुजफ्फरपुर बालिका गृह में जाया करते थे और अधिकारियों को नीचे छोड़ खुद बच्चियों के पास जाते थे।
कभी ब्यूटी पार्लर चलातीं थीं बनी मंत्रीं।
बिहार की समाज कल्याण मंत्री रहीं 49 वर्ष की मंजू वर्मा कभी अपने बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के लिए पटना आ गयी थीं। और यहीं ब्यूटी पार्लर चलाया करती थीं। राजनीति उनको ससुराल की विरासत में मिली।
मंजू वर्मा के ससुर सुखेदव महतो 1980 से 1985 चेरिया बरियारपुर विधानसभा से भाकपा के विधायक थे।
1985 में टिकट कट जाने के बाद नाराज होकर उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा लेकिन हार गए।

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