विजय कुमार शर्मा की कलम से सम्पादकीय
कल दिनांक 10/9/18 दिन सोमवार को डीजल पेट्रोल के आसमान छूते मूल्यों एवं महंगाई के विरोध में सपा बसपा को छोड़कर कांग्रेस सहित करीब दो दर्जन राजनैतिक दलों ने भारतबंद का आवाह्वान किया गया था। इस दौरान बंद कम हुआ और बंद कराने का काम ज्यादा से ज्यादा किया गया भारतबंद कराने के नाम पर आगजनी पथराव मारपीट तोड़फोड़ कौन कहे स्कूलों को जबरदस्ती बंद कराकर बच्चों को वापस भेज दिया गया बहुतो जगहों पर उनकी बसों पर हमला करके स्कूली बच्चों को लहूलुहान तक कर दिया गया। बंद लोकतंत्र में एक अहिंसक आन्दोलन सरकार के विरोध का प्रतीक होता है लेकिन विरोध व्यक्त करने के लिये किसी को विवश करना अलोकतांत्रिक माना जाता है।कहते हैं कि जिसके शरीर में दर्द होता है वह खुद बिना किसी प्रेरणा के वैद्य के घर चला जाता है उसी तरह जिसे सरकार या उसकी नीतियों से तकलीफ होती है वह खुद बंद के आवाह्वान पर अपनी दूकान अथवा प्रतिष्ठान बंद कर देता है।अराजकत्वों के जरिये जोर जबरदस्ती करके भय फैलाकर लोगों को बंद में बलात शामिल करना एवं उनके प्रतिष्ठान पर तोड़फोड़ करना तथा बसों दूकानों को जला देना अराजकता फैलाने जैसा कार्य है लेकिन दुख है कि इस समय बंद सफल करने के लिये जोर जबरदस्ती मारपीट आगजनी करने का रिवाज जैसे हो गया है।भारतबंद का आवाह्वान तो औचित्यपूर्ण माना जा सकता है लेकिन उसको सफल बनाने के जो रास्ते अख्तियार किये गये वह अन्यायपूर्ण हो गये। बंद को सफल बनाने के लिये स्कूली बच्चों की पढ़ाई बाधित करना उनकी बसों पर हमला करके घायल करना किसी भी दशा में औचित्यपूर्ण नहीं कहा जा सकता है। पेट्रोल डीजल किरोसिन ही नहीं जनमानस से जुड़ी हर चींज के बढ़ते मूल्यों पर लगाम लगाने की जिम्मेदारी सरकार की होती है।कुछ राज्यों ने तो अपने यहाँ डीजल पेट्रोल के मूल्य वैट में कटौती करके घटा भी दिये हैं। डीजल पेट्रोल के मूल्यों वृद्धि होने से सरकारी खजाना तो जरूर भर गया है लेकिन आम आदमी बेहाल होता जा रहा है।सरकार ने बढ़ते मूल्यों पर रोक लगाने में असमर्थता व्यक्त की है इसका मतलब साफ जल्दी ही पेट्रोल सैकड़ा रुपया पार कर जायेगा।आज जो केन्द्र सरकार पेट्रोलियम मूल्यों को निरंकुश बता कर राहत देने से साफ इंकार कर रही है उसी पार्टी के मुखिया मोदी जी जब सरकार में नहीं थे तो मूल्यवृद्धि के लिये कांग्रेस सरकार को कोस रहे थे।पेट्रोलियम मूल्यों में लगातार हो रही वृद्धि कतई जनहित में नहीं कही जा सकती है और इसका प्रभाव भावी राजनैतिक परिदृश्य को प्रभावित कर सकता है।
Tags पश्चिमी चम्पारण
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