समाज भूमिका निभाती महिलाएं और आँगनबाड़ियों के मानदेय में की गई बढ़ोत्तरी पर विशेष
विजय कुमार शर्मा की कलम से सम्पादकीय
समाज में रहकर समाज की सेवा करने वाली महिलाओं की समाज केभविष्य निर्माण सुशिक्षित बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका है।
वह चाहे जच्चा बच्चा को स्वस्थ रखकर सुरक्षित प्रसव कराने वाली स्वास्थ्य विभाग से जुड़ी आशाबहू के रूप में हो या फिर चाहे बाल विकास पुष्टाहार योजना को मूर्ति रूप देकर चुनाव आयोग से लेकर सरकार की विभिन्न योजनाओं में भूमिका निभाने वाली आँगनबाड़ी हो।आशाबहू एवं आँगनबाड़ी भले ही एक सरकारी कर्मचारी की भूमिका समाज में अदा कर रही हो लेकिन दोनों का रातदिन सेवा देने के बावजूद पेट नहीं भरता है और न ही इन्हें राज्य कर्मचारी का दर्जा ही मिल सका है।आज समाज में मजदूरी करने वाले को भी दो सौ तीन रूपये मिल जाते हैं लेकिन इन दोनों को उतना भी मेहनताना नहीं मिलती है। आँगनबाड़ी कार्यकर्तियों एवं उनकी सहायिकाओं को प्रतिमाह कहने भर के लिये मानदेय मिलता है लेकिन आशाबहुओं को सिर्फ हर कार्य करने के बदले एक तय धनराशि दी जाती है दुर्भाग्य है कि इन विभिन्न स्वास्थ्य से जुड़े कार्यों का पूरा पारश्रमिक इन्हें नहीं मिल पाता है। आँगनबाड़ी कार्यकर्त्री एवं सहायिका अपना मानदेय बढ़ाने की मांग बहुत दिनों से कर रही हैं इसके लिये वह कई राजधानी मुख्यालय पर ऐतिहासिक धरना प्रदर्शन करके पुलिस की लाठियाँ भी खाती हैं।
इस समय आँगनबाड़ियों एवं उनकी सहायिकाओं की संख्या मतदाता के रूप में अच्छी खासी है क्योंकि एक ग्राम पंचायत में एक नहीं बल्कि में कई आँगनवाड़ी केन्द्र चलते हैं और इनके परिवारों को अगर जोड़ लिया जाय तो मतदाता के रूप एक बड़ा समूह खड़ा हो जायेगा
जबकि आँगनबाड़ी समूह राजनैतिक दलों खासतौर पर सरकार से निराश हो गया था। प्रधानमंत्री मोदी जी द्वारा इनके साथ दर्शायी गई हमदर्दी का फायदा निश्चित तौर पर भविष्य में मिल सकता है क्योंकि मोदीजी इस घोषणा से आँगनबाड़ी समूह में खुशी की लहर दौड़ गयी है।
Tags पश्चिमी चम्पारण
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