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बहराइच – पितृ पक्ष में भागवत कथा श्रवण से पितरों को मिलता है मोक्ष : महामण्डलेश्वर रवि गिरि

डेली न्यूज़ एक्टिविस्ट न्यूज इंडिया टीवी चैनल मीडिया हाउस बहराइच
सिद्धनाथ महादेव मन्दिर में कथा का प्रथम दिवस
रिपोर्ट-ibn24x7news अनूप मिश्रा ब्यूरो चीफ बहराइच
बहराइच । श्रीमदभागवत कथा मनुष्य के जीवन में सुखों का संचय करने वाली होती है। पूरे मनोयोग के साथ कथा श्रवण मात्र से मनुष्य के जीवन में चमत्कारिक परिवर्तन हो सकते हैं। श्रीमद भागवत में तमाम एेसे प्रसंग हैं जो मनुष्य जीवन को प्रेरणा देते है और कलयुग में जीवन को कलात्मक ढंग से जीने का मार्ग प्रशस्त करते है। मानव जन्म पाकर मनुष्य अमृत पी ले और उसके व्यवहार में कोई बदलाव नहीं हो तो ऐसा अमृत भी व्यर्थ है। राहू ने भी अमृत पिया और अमर हो गए लेकिन व्यवहार में परिवर्तन न होने के कारण उसे किसी लाभ की प्राप्ति नही हो सकी । वहीं धुंधकारी जैसे पापी भी कथामृत श्रवण करने मात्र से मोक्षगति को प्राप्त हुए ।भागवत कथा अमृत सामान है । मोक्ष प्राप्ति के लिए राजा परीक्षित अपने जीवन के अंतिम सात दिन कथामृत श्रवण कर बिताया,पुण्य के भागी बने और उन्हें भी मोक्ष मिला। उक्त उदगार शहर के अतिप्राचीन पांडवकालीन श्री सिद्धनाथ मन्दिर में शुरू हुई श्रीमदभागवत महापुराण में व्यास पीठ पर आसीन सिद्धनाथ पीठाधीश्वर वरिष्ठ महामंडलेश्वर स्वामी रवि गिरी जी महाराज ने व्यक्त किए। अमृत पीने मात्र से कुछ नहीं होता बल्कि अमृतपान से अमरत्व होने के बाद भी हमारे जीवन की सार्थकता जीवमात्र के लिए क्या है, यह महत्वपूर्ण है।
भागवत सप्ताह के प्रत्येक दिन की कथा सुनना जीवनोपयोगी है। उन्होंने कहा कि कलयुग में भगवत प्राप्ति के लिए अत्यंत सरल मार्ग निर्धारित किए गए हैं। भगवान के नाम मात्र का जाप करने से कलयुग में मुक्ति पाने का विधान है।
निकली कलश यात्रा:-
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कलश यात्रा में सबसे आगे भागवत जी को सर पर उठाये यजमान प्राचार्य सुशील चन्द्र तिवारी, श्रीमती ममता तिवारी दिनेश गुप्ता, श्री मती सुमन गुप्ता पुष्पा मिश्रा, के0 के0 सक्सेना ,मनोज गुप्ता, अदित्य भान सिंह,राज कमल मनोज जायसवाल,तथा गुरु परिवार के सभी सदस्य व गद्दी सेवक चल रहे थे उनके पीछे बालिकाओं व महिलाओं का समूह सर पर कलश लिए चल रहा था |
कथा प्रारंभ होने के पूर्व एक भव्य शोभायात्रा शहर के प्रमुख मार्गों से होती हुई कथा स्थल सिद्धनाथ मन्दिर परिसर पहुँची । जिसमें वाद्य यंत्रों की धुन पर जहां भजनों का गायन करते भक्त थे तो वही सिर पर कलशों को रखे बडी संख्या में नारी शक्ति मंगलगान कर रही थी,जबकि भगवान के गगन भेदी जयकारों को गुंजायमान करते युवा भी चल रहे थे ।
कथा के प्रथम दिन पुरोहित के सान्निध्य में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ गणेश वंदना व भागवत पुराण पूजन किया गया । पूजन पश्चात भागवत कथा का आरंभ वरिष्ठ महामंडलेश्वर स्वामी रवि गिरि जी महाराज श्री सिद्धनाथ पीठाधीश्वर के मुखारविन्द से किया गया जिसमे सर्वप्रथम भगवत महात्म्य , परीक्षित श्राप व सुखदेव जन्म का वर्णन किया गया |
भक्ति से ज्ञान, वैराग्य पैदा होता है, संसार में पुण्य कार्य करना चाहिए, पुरुषार्थ प्राप्त करने के लिए भगवान की आराधना करना चाहिए, जिससे भक्ति में वृद्धि होती है। सुखदेव महाराज ने राजा परीक्षित से कहा कि भागवत अज्ञान से ज्ञान और सत्य की ओर ले जाने वाली है। संसार के प्राणी अनेक चीजों से पीड़ित है उसका एक ही समाधान है कथा श्रवण, हरि नाम सिमरन से ही सांसारिक
चिंताएं दूर होती है, सभी समस्याओं का समाधान हो जाता है। कथा व्यास स्वामी रवि गिरी ने कहा कि भगवान की शरण में आने से मनुष्य का जीवन सार्थक हो जाता है, सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, व्याधियों और द्रक्षचताओं का एक ही समाधान है श्रीमद्भागवत कथा सुनना। दैविक, भौतिक, तापों से जो पीडि़त है उनके कष्ट दूर हो जाते हैं। वरिष्ठ महामण्डलेश्वर स्वामी रवि गिरी जी महाराज श्री सिद्धनाथ पीठ पीठाधीश्वर बहराईच ने कहा कि भक्ति रूपी तत्व के जीवन में आने पर व्यक्ति का आत्मबल बढऩे लगता है तथा प्रभु की कृपा होती है।इसलिए भक्ति करनी चाहिए।
उन्होंने संतों की महिमा बताते हुए कहा कि सच्चे संत के दर्शन मात्र से ही मनुष्य के जन्म जन्मातरों के पाप नष्ट हो जाते हैं। आह्वान करते हुए उन्होंने ने कहा कि मनुष्य को निंदा चुगली से बचना चाहिए ताकि बुर व्यसनों में फंसकर जीवन व्यर्थ न जाए।

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