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बहराइच: अपराध संगोष्ठी में श्रीमान पुलिस अधीक्षक जी ने सभी थानाध्यक्षों व शाखा प्रभारियों को निर्देशित किया वे अधीनस्थों के साथ मिलकर काम करें व सुरक्षा व्यवस्था पर ध्यान दें

अपराध संगोष्ठी में श्रीमान पुलिस अधीक्षक जी ने सभी थानाध्यक्षों व शाखा प्रभारियों को निर्देशित किया वे अधीनस्थों के साथ मिलकर काम करें व सुरक्षा व्यवस्था पर ध्यान दें
बहराइच अपराध संगोष्ठी में श्रीमान पुलिस अधीक्षक श्री सभाराज महोदय ने सभी थानाध्यक्षों व शाखा प्रभारियों को निर्देशित किया गया कि वे अधीनस्थों के साथ समय समय पर सम्मेलन के माध्यम से उनकी समस्याओं को जानने व उनके निराकरण हेतु प्रयासरत रहें। अधीनस्थ कर्मियों की निजी समस्याओं मे भी यदि उन्हें अवकाश देने से उनकी समस्या समाधान मे मदद मिलती है तो संबंधित थाना प्रभारी अधीनस्थों को उनकी निर्धारित अवकाश सीमा के अंदर एक बार में 3 दिवस का अवकाश स्वीकृत कर सकते हैं।
व्यक्तिगत समस्याएं दूर होने पर कर्मी अपने कार्य को पूरे मनोयोग से करता है। अतः सभी अधिकारी अपने अधीनस्थों से एक सार्थक संवाद बनाएं। औपचारिक हों या अनौपचारिक, सम्मेलनों की कड़ियाँ बढ़ाएं। रविवार के स्वच्छता अभियान जैसे कार्यक्रम भी इसी विचार से प्रेरित हैं। स्वच्छता अभियान के माध्यम से थाने में नियुक्त सभी कर्मी, बिना रैंक/पोस्ट के अंतर के, साथ मिलकर अभियान का हिस्सा बनते हैं और इस दौरान अपने सुख-दुख व मनोभावों को आपस मे साझा करते हैं। यदि अति व्यस्त पुलिस दिनचर्या अनुमति दे तो कम समय लेने वाले खेलों इत्यादि के माध्यम से अधीनस्थों से संवाद बैठाए जाएं, उनकी समस्याओं से सरोकार रखा जाए। इस प्रकार सही एवं उचित नेतृत्व प्रदान करें। एक सच्चा नेतृत्व सिर्फ काम लेना ही नहीं जानता बल्कि अधीनस्थों की समस्याओं से सरोकार रखते हुए उन्हें निवारित करने का हर संभव यत्न भी करता है।
समस्त बल को संदर्भित करते हुए श्रीमान पुलिस अधीक्षक श्री सभाराज महोदय ने वर्तमान परिस्थितियों के संबंध में कहा कि संविधान में प्रत्येक व्यक्ति को विचार व्यक्त करने की स्वतंत्रता है पर कई अनुबंधों से बंधी हुई है। इन अनुबंधों से बाहर जाकर यह स्वतंत्रता स्वच्छंदता मे परिवर्तित हो जाती है। पुलिस जैसा अनुशासित बल “कोड आफ कंडक्ट” से बंधा हुआ है। हमे विभिन्न प्रकार की शक्तियाँ प्रदान की गई हैं किंतु कुछ प्रतिबंध भी लगाए गए हैं। हमें उनका पालन करना ही होगा। हम प्रजातंत्र में रहते हैं। हमें शक्ति प्रजातंत्र ने प्रदान की है और उन पर अंकुश भी लगाए गए हैं। हमारा हर कार्य एक स्कैनर से गुजरता है। अतः हमारा हर कार्य सिस्टम से ‘जस्टीफाई वे’ में होना चाहिए। अब बहुत बड़ी संख्या में पढ़े लिखे नौजवान आए हैं जो इन बातों को समझते हैं पर नव जोश के कारण स्वीकार नहीं कर पाते। हमें विवेक का प्रयोग करना चाहिए, हमारे कार्य यदि व्यवस्थानुरूप उचित तरीके के होंगे तो हम किसी भी स्कैनर से बेदाग होकर निकलेंगे। प्रजातंत्र में हर कार्य नियम कानून से बंधा होता है। जहाँ भी हम नियम तोड़ते हैं या स्वयं को जस्टीफाई नहीं कर पाते तो हमारे लिए समस्या उत्पन्न हो जाती है।
यदि कोई समस्या या असंतोष है भी तो उसे व्यक्त करने के अन्य साधन हैं। प्रभारियों को निर्देशित किया गया है कि वे यथासंभव आपकी समस्याओं का निराकरण करें अथवा अपने से उच्च अधिकारियों तक पहुँचाएं। विभाग या उच्च अधिकारियों के प्रति असंतोष या किसी भी तरह का विरोध प्रदर्शन स्वीकार्य नहीं होगा। वर्तमान में कुछ अराजक तत्व आपकी भावनाओं को भड़का कर स्थिति को बिगाड़ना चाहते है आपको इनके प्रभावों में नहीं आना है हमें अपने अधिकारों के साथ ही अपनी सीमाओं का भी ध्यान रखना चाहिए , भावनाओं से अछूता कानून अपना कार्य करेगा ।
आशा है कि जनपद के मेरे प्रिय पुलिस जन प्रजातांत्रिक मूल्यों को ध्यान में रखते हुऐ अपने दायित्वों को पूरे मनोयोग से पूर्ण करेंगे तथा अपने किसी भी कार्य से जनता के समक्ष मुझे नीचा देखने पर बाध्य नहीं करेगें तथा आगामी त्योहारों को पूरे मनोयोग से सम्पन्न करायेंगे ।
कुछ सामान्य निर्देश भी दिये गये –
नौकरी के दौरान पुलिस वालो को कई बार बहुत से लोगों से कुछ ख़राब बातें , अपशब्द , धमकी सुनाने को मिलती हैं जो पुलिस वाले को खुद से ज्यादा विभाग का अपमान लगता है | टेलीफोन पर ऐसी बातें ज्यादा सुनने को मिलती हैं | अधिकतर मामलों में प्रकार की स्थिति से बचा जा सकता है | उसमे बहुत कुछ सुनते वक्त आप की बातचीत पर भी निर्भर करता है –
कुछ बातें ध्यान रखने की हैं –
१- हमेशा इस तरह का ज्ञान होना चाहिए कि इस प्रकार की स्थिति आ सकती है |
२- आपकी बड़ी जिम्मेदारी है कि स्थिति को बिगड़ने न दें और स्थिति को संभालें
३- आप का बातचीत का तरीका प्रभावशाली होना चाहिए , उसमें दृढ़ता के साथ साथ सभ्यता शामिल होनी चाहिए
४-मामूली बात पर रैश मत हो जाईये , सामने वाला बात ख़राब कर रहा है तो इसका मतलब नहीं की की आप भी उसमे शामिल हो जाएँ |
५- आपकी भाषा संयत होनी चाहिए जिससे आपकी सभ्यता और व्यक्तित्व और निडरता प्रकट हो |
६ -बोलते वक्त शब्द बेहद साफ़ हों , बुदबुदायिये नहीं | कुछ महत्वपूर्ण बातें जिनकी गोपनीयता जरुरी है उसे बताईये मत न असत्य बताईये
७- शब्दाबली अच्छी होनी चाहिए , आपकी भाषा से आपके बारे में किसी के मन में आपके प्रति खराब सोच नहीं बननी चाहिए ||
८ – सामने वाले के लिए कोई प्रोटोकॉल है उसका अवश्य पालन करें
९- गलत करने की कोई सिफारिश हो तो सामने वाले को अपमानित न करें , उसकी गलत बात का समर्थन न करें , झुकें नहीं , न नसीहत देने के के चक्कर में पड़ें |
१० -बात कुछ उलझती है तो विवाद को संक्षिप्त कर दें |
११-सभी से सभ्यता से पेश आएं
१२ -आपके साथी के साथ सीनियर या जूनियर के साथ कोई उलझ रहा है तो मूक दर्शक न बने , सुलझाने और सँभालने की कोशिश करें |
१३ -अनजाने में आपसे छोटी-मोटी बात हो जाए तो उससे बचने की कोशिश न करें बल्कि बॉडी लेंगुएज से लगे भी कि आपने जानकार ऐसा गलत नहीं किया है साथ ही अपनी गलती को कह दें – कभी कभी दबिश आदि में भूलवश गलत घर में घुस जाना या गलत व्यक्ति पर हाथ दाल देना
१४- कभी भी किसी के सामने उससे अपने ट्रांसफर करा देने और अपना बिस्तर हमेशा बंधा होने की बात न करें इससे आप का सत्यता से पलायन व् सामने वाले से भय होना प्रकट होता है |
१५- आईयेगा , जाईयेगा जैसे शब्द बोलना सीखिए जो भाषा को सुसंस्कृत बनाते हैं सामने वाले पर अच्छा प्रभाव डालने में सफल होते हैं | अपने गाँव का ठेठ पना और भाषा छोड़िये बदलिए -आधुनिकता और भाषा दूसरे व्यक्ति को प्रभावशाली नहीं होने देती |
१६ -गाली गलोच की भाषा कभी प्रयोग न करें
१७- अपने बहुत सारे लोगों को देखियेगा कि वो किस प्रकार गंभीर चीजों को हैंडिल करते हैं | सब संतुष्ट होते हैं | परिस्थितिओं को अपने नियंत्रण में रखिये |
१८- विकत परिस्थिति के लिए अपनी ऊर्जा संजो कर रखिये छोटी चीजों को उपेक्षित कीजिये लेकिन बड़ी और गलत बात का हर तरह से पूरी ताकत से सामना कीजिये | कुछ मामलों में आसपास की तत्कालीन परिस्थितियां भी कुछ चीजों के लिए जिम्मेदार होती हैं आप ज्यादा कुछ नहीं कर सकते , सतर्क रहें
१९-अक्सर दुर्व्यवहार करने की नियत वाले एकत्र होकर आते हैं , उनसे बचें नहीं उन्हें निरंकुश न होने दें बातचीत करें , स्थिति संभालें , अपने अन्य साथी आने तक स्थिति सँभालने का प्रयास करें | पर्याप्त फ़ोर्स आने पर दृढ़ता और सख्ती के साथ यथोचित एक्शन लें
20- अपने विभाग या दूसरों को सीनियर्स को दोष न दें सबका योगदान व जिम्मेदारी है | दबाब के वक्त न घबराएं | दबाब सहना और सामना करना सीखें |
21- ऐसा वक्त आपकी क्षमता की परीक्षा भी है | आपकी सामान्य छवि आपके इलाके में अच्छी होनी चाहिए |
22-
उपरोक्त बातों से ही अधिकतर स्थिति में सामने वाला आपके प्रभाव में रहेगा और अपमानित करने का प्रयास नहीं करेगा |
इसके आगे की स्थिति के लिए आगे के एक्शन हैं जो गिने चुने मामलों के लिए हैं। .उनमे दृढ़ता सख्ती और नियमतः कार्यवाही करें |

रिपोर्ट अनूप मिश्रा ibn24x7news बहराइच

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