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बिकरू कांड से सबक लेने की जगह इसकी गलतियों को पुलिस बार-बार दोहरा रही है। इसी लापरवाही का नतीजा है कि कभी पुलिसवाले घायल हो रहे हैं तो कभी उनकी जान जा रही है। कासगंज में भी ऐसी ही लापरवाही सामने आई है। शराब माफिया की खुफिया जानकारी जुटाए बगैर पुलिस पार्टी के नाम पर सिर्फ एक दरोगा और एक सिपाही को कच्ची शराब के अड्डे पर भेज दिया गया। इनके पास जीप तक नहीं थी।
कानपुर के बिकरू में दो जुलाई 2020 की रात गैंगस्टर विकास दुबे और उसके गुर्गों ने दबिश देने आए आठ पुलिसवालों की हत्या कर दी थी। तब यह सामने आया था कि पुलिसकर्मी विकास दुबे के बारे में जानकारी जुटाए बगैर दबिश देने गए थे। यह बड़ी चूक थी। लेकिन इससे सबक नहीं लिया गया। इस घटना के बाद से अब तक आगरा जोन में ही पुलिस पर कई हमले हो चुके हैं।
शराब माफिया, खनन माफिया पर कार्रवाई के लिए बगैर तैयारी के पुलिसकर्मियों को भेजा जा रहा है। बिकरू से पहले देखें तो दो जून 2016 को मथुरा के जवाहर बाग में तत्कालीन एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी और एसओ फरह थाना संतोश यादव की हत्या कर दी थी। तब भी पुलिस बगैर तैयारी के जवाहर बाग को कब्जाधारियों से खाली कराने के लिए पहुंच गई थी।
कासगंज की घटना में पुलिस ने गलती दोहराई। थाना सिढ़पुरा क्षेत्र के गांव नगला धीमर और नगला भिकारी में मंगलवार शाम को अवैध शराब की सूचना पर दरोगा अशोक कुमार सिंह और सिपाही देवेंद्र सिंह बाइक से गए थे। उन पर शराब माफिया ने हमला कर दिया था। हमले में सिपाही देवेंद्र की हत्या कर दी गई थी। दरोगा गंभीर रूप से घायल हुए हैं।
पुलिस ने 12 घंटे के अंदर ही सिपाही की हत्या करने वाले एक आरोपी को मुठभेड़ में मार गिराया। मृतक आरोपी का नाम ऐलकार है, जबकि दूसरा आरोपी फरार है। जानकारी के अनुसार थाना सिढ़पुरा क्षेत्र में बुधवार तड़के काली नदी की कटरी किनारे मुठभेड़ हुई। आरोपी एलकार गांव धीमर का रहने वाला था। मुख्य आरोपी मोती सिंह फरार है, उस पर 11 मामले दर्ज हैं।
रिपोर्टर- अशोक सागर