संवाददाता – मुदस्सिर हुसैन IBN NEWS मवई अयोध्या
✍️ मृतक व्यक्ति के नाम पर भी निकाली गई रकम
✍️आवास दिलाने के नाम पर भी दो हजार रुपए लेने का प्रधानपति पर आरोप फिर भी नहीं दिया गया आवास
✍️आज आई जांच टीम ने लिस्ट पास न होने का करती रही बहाना शिकायत कर्ता द्वारा दी जा रही लिस्ट से नहीं किया जांच अपने अधिकारी के न आने के बहाने बैरंग लौटी टीम
✍️स्वच्छ भारत मिशन के तहत बनाए गए शौचालयों को भी नहीं बख्शा अधिकारियों ने,
15/02/2021 मवई अयोध्या – विकास खंड मवई के ग्राम कसारी में स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत लाभार्थियों को दिए जाने वाले शौचालयों में भारी गड़बड़ झाला सामने आया है इसकी शिकायत गांव के ही नफीस पुत्र फारुक द्वारा उच्चाधिकारियों से की गई तमाम शिकायतों व जनसूचना अधिकार के उपयोग के बाद आज 20 सदस्यीय जांच टीम गांव पहुंची जिसमें टीम के दो सदस्यों नंदलाल व गया प्रसाद यादव ने कसारी में मजरे मडिकयन का पुरवा व बरवारी की जांच की दोनों गांवों में 11ऐसे लोग मिले जिनके नाम का धन निकासी हो गया किंतु उनके शौचालय अभी तक नहीं बने।
उधर शिकायत सिलसिला व जांच प्रक्रिया को देखते हुए प्रधान द्वारा कुछ लोगों के शौचालय रातों रात बनवाए जा रहे हैं।यह शिकायती पक्ष का आरोप है। कसारी में मजरे कच्चे खंडहर मकान में रहने वाले एक बुजुर्ग ने बताया कि करीब डेढ़ दो साल पूर्व प्रधान पति ने उससे दो हजार रुपए आवास देने के नाम पर लिए लेकिन आज तक उसे आवास नहीं मिला बुजुर्ग की बहू ने बताया कि जब उसके ससुर प्रधान से पैसे वापस लेने के लिए प्रधान के घर गए तो पैसे वापस करने की बजाय उसे मारने को प्रधान पति ने दौड़ा लिया।
कुल मिलाकर कसारी गांव अंधेर नगरी चौपट राजा वाली कहावत हाबी है।आज शौचालय के मामले में बीस सदस्यीय टीम जांच को आई जिसमें से केवल दो लोगों ने दो गांवों की जांच की बाकी लोग अपने अधिकारी पास सूची होने का बहाना बनाकर पहले इंतजार किए और दो बजे के बाद वापस चले गए।
वहीं दूसरी तरफ शिकायत पक्ष का आरोप है कि क्रमांक संख्या 89पर अंकित नाम बुधराम पुत्र सुकई,150पर गुड्डू पुत्र दरगाही,318 पर मेडई पुत्र बैजनाथ,347पर मुसीबत अली पुत्र हसन,437पर राम बहोरे पुत्र सहतू,455 पर राम जियावन पुत्र मोती,482पर राम पियारे पुत्र शिवलाल,650पर सूर्य लाल पुत्र शिवचरन मृतक हैं और इनके नाम से फर्जी ढंग से धन निकासी कर प्रधान द्वारा दुरुपयोग किया गया मृतकों के शौचालयों का धन प्रधान ही खा गए। इसके अलावा यह भी आरोप है कि क्रमांक संख्या 37 पर अनिल कुमार पुत्र राम करन,529 पर साधना पत्नी अनिल कुमार,60 पर बाबूलाल पुत्र रजऊ,व 258 पर कैलाशा पत्नी बाबूलाल को शौचालय का लाभ दिया गया है जबकि ये पति पत्नी को दोहरा लाभ दिया गया है
जो नियमों कानूनों को ताक पर रखकर यहां सरकारी धन का जमकर बंदर बांट किया गया है यही नहीं एक एक ब्यक्ति को दो-दो शौचालय दिए गए हैं इसका प्रमाण क्रमांक संख्या 331 व 336 पर मोतीन पुत्र अफजल का अंकित नाम ही दे रहा है क्रमांक संख्या 399,395 व 585 और 586तथा 603 और 604 से स्पष्ट मिल रहा है,क्रामांक संख्या 519,558,26,292,116,227,263,337,441,418,700,01,345,540573,203,493,505,575,153,162,548,464,136,257,534 पर अंकित नाम-श्रानी पत्नी शेरबा्हादुर, संतोष कुमार पुत्र राममिलन आदि को शौचालय भी नहीं मिला और शौचालय के धन की निकासी भी कर ली गई।शिकायत कर्ता को विकास खंड से पहली सूची मिली उसमें कुल-707 लोगों को शौचालय आवंटित भुगतान सहित बताया गया किंतु दूसरी सूची में दर्शाया गया कि कसारी गांव के 707 लोगों को शौचालय दिए गए हैं जिनमें से 107 लोगों को भुगतान नहीं है इससे तो यही प्रतीत होता है कि खंड विकास मुख्यालय में भी गड़बड़झाला है। जांच टीम में सहायक विकास अधिकारी (पंचायत) विकास चंद्र दुबे का नाम भी शामिल था लेकिन दुबे जी नहीं आए।
जब फोन पर उनसे इस प्रतिनिधि ने वार्ता किया तो उन्होंने कहा वीडियो साहब छुट्टी पर हैं इसलिए हम नहीं जा पाए टीम भेजा था लेकिन वहां पत्रकारों ने टीम के लोगों से सवाल करना आरम्भ कर दिया जिसके कारण टीम ने जांच नहीं की। जबकि उसी टीम के दो लोगों ने अपना कर्तव्य निभाया उनको किसी पत्रकार ने नहीं रोका न कोई सवाल जवाब किया। सहायक विकास अधिकारी ने यह भी कहा कि पंचायत चुनाव सन्निकट हैं और ऐसी स्थिति में यदि कोई विवाद हो जाए तो उसका जिम्मेदार कौन होगा।अब सहायक विकास अधिकारी की बातों से तो स्पष्ट होता है कि वे पत्रकारों को देखना नहीं चाहते मतलब अपनी मन मर्जी से जांच की औपचारिकता पूरी कर कर्तब्यों की इति श्री करना चाहते हैं।
यदि पत्रकार नहीं रहेंगे तो आराम से पब्लिक को लाभ दिलाने के बजाय ग्राम प्रधान को बचा लिया जाएगा। और शिकायत कर्ता को फर्जी शिकायत कर्ता घोषित कर दिया जाएगा। उधर ग्रामीणों से पता किया गया तो पता चला कि दो पत्रकार आए जरूर थे लेकिन उन्होंने किसी कोई बात नहीं ही नहीं की।इन सब बातों से साफ जाहिर होता है कि सहायक विकास अधिकारी (पंचायत) मामले को दबाकर ग्राम प्रधान कसारी की मदद कर रहे हैं।अगली जांच कब होगी पूंछा गया तो सहायक विकास अधिकारी ने बताया कि वीडियो साहब वापस आएं तो समय निर्धारण होने के बाद ही जांच होगी।
गोल मटोल बातों से साफ है कि विकास खंड मुख्यालय भी मामले की लीपापोती ही कर रहा है। यहां गरीबों के अधिकारों का हनन हुआ है और हो रहा है तमाम ऐसे गरीब हैं जो आजादी के 74 वर्ष बाद भी फूस व मिट्टी के कच्चे मकानों में रहने को मजबूर हैं लेकिन इनकी फरियाद सुनने वाला कोई नहीं है। शौचालय भी तमाम ऐसे देखने को मिले जिनमें से किसी में दरवाजा नहीं तो कोई बगैर गड्ढे का तो कोई अधगिरा पड़ा है।यह भी पता चला कि वर्तमान प्रधान ने पूर्व प्रधान के कार्यकाल में जिन लोगों को शौचालय मिले थे उनको शौचालय का लाभ देकर पुराने शौचालय को ही नवनिर्मित दिखाया गया है। कुल मिलाकर कसारी गांव में काफी गड़बड़झाला है और राज का फास और जांचोपरांत आरोप सिद्ध होने पर कड़ी कार्रवाई की आवश्यकता है।