होनहार बिरवान के होत चीकने पात यहा न धर्म दिखता है न राजनीति संप्रदाय के सहारे की भी जरूरत नही होती सिर्फ जज्बात ही काफी है असहाय व गरीबों की सेवा के लिए यह मानना है सारा और मूसा का.
यह नजारा है यूपी के सिटी स्टेशन गाजीपुर मकर संक्रांति के पूर्व मध्य रात्रि 11.34 का का जिसे विकास पुरुष मनोज सिन्हा का जिला कहा जाता है. जहा पूरा जिला और समाजसेवियों के साथ जिला प्रशासन कडकडाती सर्दी से बचने के लिए गर्मी तलाशने के लिए हीटर अलाव और ब्लोवर के साथ नर्म रजाइयों मे दुबक चुका था.
लेकिन शहर के दो मासूम यहा सर्दी से जूझ रहे गरीबों असहाय पडे भिखमंगो को कम्बल बांट रहे थे.
6 वर्शीय मूसा और 12 साल की सारा कादरी के जज्बे को आप को भी सलाम करना चाहिए. सबसे बडी बात यह दोनो मासूम उस परिवार से ताल्लुक रखते है जिस परिवार की ओर से जिला मुख्यालय स्थित गंगा ब्रिज मार्ग पर जिले का सबसे बेहतरीन अस्पताल बनवाया गया था. जिसे जिलाधिकारी के निर्देश पर जमीदोज कर दिया गया था. हालांकि पूरी बिल्डिंग फायनेंन्स थी.
बीते महीने ही 50 करोड की लागत से तैयार मल्टीस्पेशलि अस्पताल का जमीदोज होने के बाद परिवार अभी सदमे से उबरा भी नही है. बावजूद इसके बच्चो के जज्बात को देख परिजनो ने कंबल का इंतजाम करा जनसेवा के लिए मासूमो को आधी रात मे असहायों की मदद के लिए रवाना कर दिया.
जिले मे धनपशुओं नेताओं समाजसेवी संस्थानो व्यापारियों की बहुतायत है ठेकेदार अफसर माफिया तश्कर सभी पटे पडे है लेकिन इस तरह की सोच कुछ ही लोगों मे दिखती है.
बच्चो के साथ मौजूद शम्मेगौशिया ग्रुप के डा शादाब मौजूद रहे उन्होंने बताया कि गरीबों और असहायों की सेवा का संस्कार उनके पिता डा आजम कादरी से उनके पूरे परिवार को विरासत मे मिला है. और आजीवन पूरा परिवार जरूरत मंदो गरीबों मजलूमों के साथ खडा होने का प्रयास करता रहेगा.
राकेश पाण्डेय IBN NEWS की रिपोर्ट