जब तक बहती है इस जग में, सुशिक्षा की धारा
तब तक क़ायम है वसुधा पर, लुई नाम तुम्हारा
कोरिया – मनेन्द्रगढ़ स्थित नेत्रहीन विद्यालय में ब्रेल लिपि के जनक नेत्रहीनों के मसीहा कहे जाने वाले सर लुईस ब्रेल का जन्म दिवस मनाया गया। कोविड 19 के कारण विद्यालय के सभी छात्र घर पर हैं जिन्होंने घर से ही ऑनलाइन कार्यक्रम में हिस्सा लिया और सर लुईस ब्रेल के जन्म दिवस पर उन्हें याद किया। आज ही के दिन सर लुईस ब्रेल का सन 1809 में जन्म हुआ था उन्होंने तीन वर्ष की उम्र में अपनी दृष्टि खो दी थी।
पढ़ने लिखने में असुविधा के कारण उन्होंने बिंदुओं की रचना की जिसके सहारे वे पढ़ने लिखने लगे तथा आगे इन्ही बिंदुओं से ब्रेल लिपि का आविष्कार किया और आज ब्रेल लिपि पूरी दुनिया के दृष्टिहीनों के लिए पढ़ने लिखने का प्रमुख माध्यम बन गई। आज के कार्यक्रम में ऑनलाइन परिचर्चा भी रखी गई जिसमें छात्र धर्मेंद्र सिंह, सुभाष कुमार , शनि कुमार, राजेश बैगा, करन कुमार, आदि ने भाग लिया।
विद्यालय के कार्यक्रम में पूर्व से स्थापित सर लुइस ब्रेल की काष्ठ की प्रतिमा पर माल्यापर्णन व तिलक लगाकर व दीप प्रज्वलित कर किया गया। उस अवसर पर विद्यालय समिति से रामगोपाल खेड़िया, चन्द्रकांत चावड़ा, प्राचार्य संतोष चढोकर, राकेश गुप्ता, गोपाल जी तिवारी, संतोष पांडेय, प्रतिभा रजक, गीता, बबली मुकेश, मालिक, सुरेश के साथ अन्य कर्मचारी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन राकेश गुप्ता ने किया।