रिपोर्ट मुराद बलबार IBN NEWS फरीदाबाद, हरियाणा
फरीदाबाद:यूनिवर्सल अस्पताल में सांस की गंभीर तकलीफ को लेकर आई एक बुजुर्ग महिला का ईसीएमओ मशीन द्वारा सात दिन में सफल इलाज कर उसकी जान बचाई गई | अब वे पूरी तरह स्वस्थ हो गई हैं तथा एक-दो दिन के बाद घर जा सकेंगी | अस्पताल के हृदय रोग विशेषज्ञ डा.शैलेश जैन ने बताया कि सविता कुमारी जिनकी उम्र 76 साल है,पलवल के पास बामनीखेड़ा की रहने वाली हैं | वे सांस लेने में हो रही तकलीफ के चलते यूनिवर्सल अस्पताल आई थीं | यूनिर्वसल अस्पताल में आने से पहले इन्होंने किसी दूसरे अस्पताल में चैकअप कराया था जहां उनका कोराना संक्रमण का टेस्ट कराया गया था जो नेगेटिव आया था लेकिन इनको वहां इलाज के बाद भी सांस लेने में आराम नहीं मिला तो वे यूनिर्वसल अस्पताल में आईं।
यूनिवर्सल अस्पताल में इनका सीटी स्कैन व अन्य जांचें की गईं तथा कोरोना संक्रमण की भी फिर से जांच कराई तो वे कोरोना पॉजीटीव पाई गईं | जब ये यहां पहुंची तो इनका ऑक्सीजन लेवल 85 से 90 के बीच था,जो और घटकर 70 के आसपास आ गया | इस दौरान इनको एनआईवी के द्वारा सांस दी गईं तथा ऑक्सीजन लेबल बेहतर नहीं होने पर तय किया गया कि इनको वेंटीलेटर पर लिया जाए | वेंटीलेटर पर लेने से पहले इनके साथ आए परिजन से गहन विचार-विमर्श किया और विचार-विमर्श के बाद अस्पताल के डॉक्टर शैलेश जैन व डा. पारितोष मिश्रा ने उनको बताया कि इनका ईसीएमओ डिवाइस – एक्स्ट्रा-कॉरपोरियल मैम्ब्रेन ऑक्सीजेनेयसन यानि कि ईसीएमओ डिवाइस लाइफ सपोर्ट सिस्टम कहलाता है,के जरिये इलाज संभव है | उनकी सहमति के बाद उनका इस मशीन द्वारा दलाज शुरू किया गया |
यह मशीन शरीर को उस वक्त ऑक्सीजन सप्लाई करता है,जब मरीज के फेफड़े या दिल काम नहीं कर पाते हैं | जब मरीज को प्राकृतिक तरीके से सांस लेने में परेशानी हो रही हो,तब ईसीएमओ डिवाइस का इस्तेमाल किया जाता है | कृत्रिम लंग मशीन पर रखने पर इनका ऑक्सीजन लेवल 95 तक आ गया और जैसे-जैसे इनका ऑक्सीजन लेवल बढ़ता गया उसके बाद धीरे-धीरे इकमो मशीन को बंद कर दिया गया | डा.जैन ने बताया कि ईसीएमओ का इस्तेमाल तह किया जाता है जह मरीज को सांस लेने में परेशानी हो | यह मशीन नसों में बह रहे खून के जरिये काम करती है | इसमें शरीर के किसी एक नस से खून निकालकर उसे मशीन से जोड़ दिया जाता है जिससे कि बायपास तरीके से खून पूरे शरीर में प्रवाहित होता है | यह मशीन खून को हार्ट और लंग से भी बायपास करने देती है |
जब पेशंट को ईसीएमओ से कनेक्ट किया जाता है,तह ट्यूबिंग के जरिये खून का प्रवाह लंग में होता है, जिससे यह मशीन खून में ऑक्सीजन जोड़ती है और कार्बन डाइऑक्साइड को हटा देती है। ऐसा करने से बॉडी टेम्प्रेचर के हिसाब से खून गर्म होता है और शरीर में वापस पंप किया जाता है | ईसीएमओ मशीन उन मरीजों की जान बचाने के काम आती है जिन्हें वेंटिलेटर सभी राहत नहीं मिलती है | डा.जैन ने बताया कि ईसीएमओ के जरिये दिल के हाई रिस्क मरीजों के सफल ऑपरेशन की संभावनाएं होती हैं | हार्ट अटैक होने की वजह से दिल की मांसपेशियां खराब हो जाती हैं |
सर्जरी के बाद भी खतरा बना रहता है | उन्होंने बताया कि सही तरह से पंपिंग न होने से फेफड़ों में खून नहीं पहुंचता है,जिससे फेफड़े काम करना बंद कर देते हैं | ऐसे में ईसीएमओ मशीन की मदद से फेफड़ों में ऑक्सीजन पहुंचाया जाता है,जिससे कि मरीज की हालत में सुधार होता है डा. जैन ने बताया कि ईसीओमओ के जरिये 70 फीसदी हाई रिस्क मरीजों की जिंदगी बचाया जा सकता है। इस मशीन को चलाने के लिए ट्रेंड स्टाफ की जरूरत होती है | इस मशीन की कीमत करीब 30 से 35 लाख रुपए है | आपरेशन करने वाली टीम में डा.
शैलेश जैन,डा.पारितोष मिश्रा, डा. राहुल चंदीला व डा.पवन शामिल रहे | इस सफल आपरेशन के लिए अस्पताल की मेडिकल डायरेक्टर डा.नीति अग्रवाल ने आपरेशन टीम को बधाई दी |