रिपोर्ट अनुज त्रिपाठी IBN NEWS सलेमपुर देवरिया
22 मार्च को पूरा विश्व में विश्व जल दिवस के रूप में मना रहा है ।इसे पहली बार ब्राजील के रियो डी जेनेरिया वर्ष 1992 पर्यावरण के विकास के लिए संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन की अनुसूची क्रमांक 21 में अधिकारीक रूप से इसे जोड़ा गया था ।और इस तरह वर्ष 1993 से सभी जगह मनाया जाने लगा ।
पानी की आवश्कता आज हर मनुष्य को है” *कहा भी गया है कि जल है तो जीवन भी है”।*प्रकृति पर्याप्त जल प्रदान करती है ताकि मनुष्य के लिए जल ही जीवन प्रदान कर सके है ।हमारे पास जो भी है उससे भी ज्यादे की लालच रहता है मनुष्य को अपने फायदे के लिये प्राकृति को परेशान करना शुरू कर दिया है ।लेकिन पानी बचाने के बजाय उसे दूषित करने लगा है।दुनिया की दूसरी सबसे ज्यादा आबादी, जिसमे भारत मे पीने योग्य पानी की कमी एक मजबूत समस्या है।भारत के कई राज्यो में गांवों में पानी की कमी से पीड़ित है।
जिसके परिणाम स्वरूप किसान आत्महत्या कर लेते है।विशेष रूप से महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा।भारत एक कृषि प्रधान देश है और किसान कृषि पर आत्मनिर्भर रहता है और जल की कमी से कृषि बहुत कम होती है क्योकि बारिश की कमी के कारणों से कम खेती की पैदावार होती है ।पानी की कमी से बचने के लिए हमे उनको सही तरीक़े से उपयोग करना चाहिए ।पानी हम सभी प्राणीयो के जीवन में एक अहम भूमिका निभाता है।सबसे ज्यादे पानी की क्षति रेलवे प्लेटफार्म पर होती है।रेलवे के कर्मचारियों की लापरवाही से होता है।
हमने बृक्ष को काटना ,वायु को दूषित करना, पानी को प्रदूषित करना मानव का एक मात्र काम बन गया है।हम अपने घरों को साफ सुथरा रखने के लिए अपने घरों का कचरा नहरों और नदियों में डाल दिया है और इस तरह हमने पानी को जहर बना दिया है जिससे पशु पक्षी पी कर मर जाते है।आज के इस शुभ दिन पर हम सभी को यह प्रण लेना चाहिए कि हमे किसी भी तरह से जल को जल को प्रदूषित होने से बचाना है।