पीलीभीत : जीपीएफ व सीपीएफ में घोटाला के आरोपितों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग को लेकर विद्युत कर्मियों का कार्य बहिष्कार आंदोलन दूसरे दिन भी जारी रहा। इसमें विभाग के अभियंता भी शामिल रहे। कार्य बहिष्कार के साथ ही विद्युत वितरण खंड कार्यालय परिसर में धरना दिया गया।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने 18 नवंबर से 48 घंटे के कार्य बहिष्कार की घोषणा पहले से ही कर दी थी। घोषणा के अनुरूप मंगलवार को भी कार्य बहिष्कार किया गया। कार्य बहिष्कार करते कर्मचारी और अभियंता विद्युत वितरण खंड कार्यालय परिसर में एकत्र हुए और धरना दिया। धरना स्थल पर हुई सभा में समिति के पदाधिकारियों ने मांगों को दोहराते हुए कहा कि कर्मियों, अभियंताओं के जीपीएफ व सीपीएफ के भुगतान का उत्तरदायित्व सरकार ले। साथ ही इसका गजट नोटिफिकेशन भी जारी किया जाए।
घोटाले को आरोपित आइएएस अधिकारियों बर्खास्त करके गिरफ्तार किया जाए। भविष्य निधि के निवेश के संबंध में सरकार श्वेतपत्र जारी करे। उन्होंने 48 घंटे के कार्य बहिष्कार आंदोलन के लिए प्रबंधन व नौकरशाही के हठवादी रवैए को जिम्मेदार ठहराया। कहा कि कर्मचारियों के 2600 करोड़ रुपये की तत्काल भुगतान की मांग नहीं कर रहे हैं बल्कि इस भुगतान की गारंटी मांग रहे हैं। कर्मचारी निश्चित होकर शासन की मंशा के अनुरूप कार्य कर सकें। बताया गया कि वर्ष 2000 में ऐसी ही गारंटी सरकार ले चुकी है।
जिसका गजट उपलब्ध है। पदाधिकारियों ने कहा कि अगर सरकार उनकी मांगें नहीं मानती है को केंद्रीय नेतृत्व के निर्देशानुसार बुधवार को सुबह जिला मुख्यालय पर आगे की रणनीति तय की जाएगी। धरना देने वालों में अधीक्षण अभियंता सैयद अब्बास रिजवी, अधिशासी अभियंता असीम कुमार, अरविद कुमार, ज्ञानेंद्र सिंह, एसडीओ विनोद गंगवार, अतुल कुमार, दीपक नेगी, आकाशदीप, संघर्ष समिति के अध्यक्ष ओमकार, उपाध्यक्ष नरायन लाल कश्यप, संयोजक अशोक शर्मा समेत अन्य कर्मचारी शामिल रहे।
रिपोर्ट रोहित गौतम ibn24x7news पीलीभीत